घर मांय

रैवता थकां भी

बेघर हुय सकै

मिनख

पगां मांय

चक्का लगायोड़ो

मिनख भी

हुय सकै

आपरै घर मांय

बात घर री नीं

ठैराव री है

जठै ठैर जावै

मन

बठै हुय जावै

घर॥

स्रोत
  • पोथी : कंवळी कूंपळ प्रीत री ,
  • सिरजक : रेणुका व्यास 'नीलम' ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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