राखूं थारै साम्हीं

म्हारै हुवण रो साच

म्हारै बगत रो हेलो

सै कीं आं रै मांय

अै सबद

जे म्हारी ओळखाण नीं बण सकै

नीं कर सकै आपरै बगत री

अबखायां सूं जुद्ध, तो

म्हारी कलम रो कांई मोल।

बोल, कीं तो बोल।

चोखा है तो चोखा

अर माड़ा है तो माड़ा

पण

हियै सूं निसरया है सबद।

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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