हेली म्हारी!
जीवण है जग रो आधार
मिनख सूं बिसर्या ना सरै।
भीतर उग आयो है विध्वंस
जीवण रै खतरो सांकड़ौ
मिनख सुणै है पुरबली अवाज
विध्वंस राग बज रैयी।
हेली म्हारी!
मिनख सूं अळघी मतना जाय
जीवा दे मिनखांजूण नै
जग कांपै है माया देख
सुख-सुपना मिनखां दूर
सांसां में सोरम दे हे साथण मांयली।
हेली म्हारी!
सुख रो भारो
जग नै ऊंचाय
मिनख नै दे दे
सुपना सोवणा।
कोयल गावै है मिरतूराग
मोरिया कुरळावै दिन-रात
बिणास खड़-खड़ हांस रैयो।
हेली म्हारी!
मिनख री बुध री डोर पकड़
लिआ मारग सांचलै।
साथण!
विध्वंस नै दे बूर
कोयल नै सखरी दे अवाज
मिरतूराग रै टांपो देय
धरती नै निरभय राखजै
हेली म्हारी
जीवण है जग रो आधार
मिनख सूं बिसर्या ना सरै