चालता-चालतां

समै रौ हाथ

छूट जावै,

मन चाल पड़ै

मनचायी पगडांडियां

नक्स उभर आवै

म्हारा सैंधा सैण!

जोई ही जठै यूं

म्हारी बाट,

उण ठौड़

निछरावती प्रेम-सौरम

थापित करै छै

अबै अेक भरोसौ।

स्रोत
  • पोथी : ज्यूं सैणी तितली ,
  • सिरजक : किरण राजपुरोहित नितिला ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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