दिसावर गया जद सेठ
भोळाई ई हवेली
बरसां बाद आया तो
नीं जाण सक्या
अेनाण-सेनाण
डोकरो
भाज-भाज’र बताया
दादी री रसोई
दादा रो थांन
तो बतावो,
कांई लेवोला खाली करण रा...
डोकरो चमक्यौ...
मोतियासुदा आंख्यां सूं देखतो बोल्यौ
‘कदै इस्या सवाल बाबू तो नीं पूछिया...’
‘वो समै रैयो न बाबू...
आप तो बताओ,
लेवौ रोकड़ा अर व्हीर हुवौ’
‘हू रैयो हूं...काल हुय जासी खाली’।