चंवरी में
अेक हाथ
दूजै हाथ सूं
मिलतो थको बोल्यो-
ओ हाथ
ओ गात
रैवैलो
जलम-जलम
थारै साथ
पण
ओ ईज
कैवणो है कै
मत घालज्यो
काळजै हाथ।
स्रोत
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पोथी : राजस्थली
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सिरजक : कालू खां
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संपादक : श्याम महर्षि
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प्रकाशक : राजस्थानी संस्कृति पीठ राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूंगरगढ़