पाड़ोसी सूं लड़ पड़्यो, बीं दिन 'निजामलो तेली'।

तीन च्यार खाई बठै, च्यार पांच मेली॥

पछै खुद री गलती जाण।

घरआळी रो कैणो मान॥

राजीपो करण नै गयो, गुड़ री ले’र भेली॥

माचै ऊपर बैठ्यो बारै, दादो करै तावड़ी।

माचै री सेरू रे साथै, बंध्योड़ी ही गावड़ी॥

चील गाड़ी एक आगी।

गा बिचर'र भागी।

सर्णे दादे मार्च नै, ले ज्यार पटक्यो बावड़ी॥

राजपथ पर बगतां थकां, हाजत होगी सेठ रै।

भींचा भींची करबा लाग्या, हाथ बांध्या पेट रै।

दीसी कोनी पड़ती पार।

ढीला होया आखिरकार॥

लांग खोल धोती री बैठ्या, ओलै इण्डिया गेट रै॥

'कूमोजी' सुखावण गया, डागळै पर काचरी।

साफलियो उतार बैठग्या ठण्डी छिंया गाछ री॥

नीमड़ी पर आगली।

ब्यायोड़ी ही कागली॥

मार मार पंजां बा’री फोड़ नाखी टाचरी॥

जूडो सीख्योड़ी 'जूही' री 'चंपो' चुन्नी खींची।

पळट'र चेपी लात उछळ'र बीरी नसड़ी भींची॥

होई घणी खारी।

अबला पड़गी भारी॥

लोग लताड़्यो लाजां करतो नाड़ न्हाखली नीची॥

सुवै आळै जोतकी पर 'पेमी' पटकी पांड।

लालतातो हो’र बोल्यो, आंधी है कै रांड॥

पेमी बणगी चण्डी।

फाड़ी बीरी बण्डी॥

धूळ में खिण्डा दी दोन्यूं, पाण्ड आळी खाण्ड॥

हीरो जड़्यो गणेशजी री मूरती रा दांत रै।

देख्यो जणा चोरी करण, चोर चढ़ग्यो चांत रै॥

हीरै कांनी झपट्यो।

बिनायक जी प्रगट्यो॥

सूण्ड मैं पळे'ट फैंक्यो, बीस कोस आंतरै॥

'सदीकड़े' 'नूरीए' फिल्म देखली 'सोले'।

'तेरा क्या होगा रे कालिया' आपसरी में बोले॥

मोलवी जी का चढ़ग्या पारा।

'काळू खां' था नाम बां'रा॥

झाल घण्टड़ी दोन्यूआं के चेपे दस दस ठोले॥

नूंई लागी दफ्तर में एक फूठरी सी छोरी।

सारै दिन मटरका करती काम मैं ही कोरी॥

झांक-झांक'र बांकी।

अफसर, कलरकां की॥

अकल लागी काढ़ण कै कै, हाय, प्लीज अर सॉरी॥

हाथां मांही झोलो लियां छोटो लियां मोडै पर।

मूळयां लेवण मेळै पूग्यो, मालणजी रै ओडै पर॥

टींगर जाग्यो सूत्यो।

ओडै रै मां मूत्यो॥

मालण फैंक्यो किलो आळो बट्टो बीरै गोडै पर॥

बकरियै ने कैयो बकरड़ी मैं तो होगी आखती।

हर्‌यो चरबा फिरती फिरूं इनै बिनै भागती॥

जद भी जाऊं बारै।

गण्डक पड़ज्या लारै॥

बेलडूयां उगोद्यो ढोला, टापली रै पाखती॥

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : शक्ति प्रकाश माथुर ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’
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