भोत तळै जाय’र

नीसर्‌यो है कूओ

रास रा निसाण

आपरै मुंडै री

समूळी गेळाई में

कोर्‌‌या अैनाण

पण नीं बतावै

किण दिस

कुण जात

भरती ही पाणी।

काळीबंगा रौ मून

बतावै

अेक जात

आदमजात

जकी

भेळी जागी

भेळी सोई

भेळप निभाई

ढिगळी होवण तांई।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम
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