घोर अधारी बरसाळै री घुट अमावस रैण
बादळिया रै घूघटियै मे ऊधै नभ रा नैण
ज्यू बिरहण री आसा
आखो लोक अमूझै
नाखै बाळ निसासा
मिरगलिया सा भरै चोकड्या भादूडै रा लोर
धूप-छाव री ल्हैरा उड-उड मिणै धरा रा छोर
भाजी फिरै लगन सू
पिछवा चालै पून, न
बरसै छाट गगन सूं
तीतरपखी बादळिया रो ओढ सुरगो चीर
आथूणै अम्बर मे सज्या खडी खितिज रै तीर
प्रीत री डोर बधाई
धरती देव सीख —
विदा री बेळा आई
आयो मझ आसोज, कळायण घाल्यो घेरघुमेर
पिछवा पून फिर जद ताणी अब बरसण में देर
बिरखा मंडी सजोरी
अन-धन री देवाळ
घडी-पुळ काढै दीरी
घर में करै किलोळा दाळद, भूख पेट नै खाय
राज-ब्याज में नाज पराई हाटा तुल-तुल जाय
लिछमी घणी ठगोरी
घास-फूस रै पाण —
गरीबी कटणी दोरी