यो सुरभि पळक प्रत्यक्ष अरे

बाळक रै अधरा लियो रूप

यो देव-वना तरु-तरु पराग

धरती पै झरियो रे अनूप

या आज अचाणक फूट-फूट

सिव-सिर सू ढुळकी गंगधार

जग-अध सब गळ-गळ ह्विया नास

भव-सागर जण-जण कियो पार

या भाग अमावस गई फाट

ऊसा रो आचळ गयो छूट

तारा सू तारै करी बात

दुख भो रो सपनो गयो टूटू

मनु रैण गुवारै रंग आज

जिण जिण रा नैणा रया खीच

गौरी कर संकर चढ्या फूल

सद्धानत सिर अर नयण मीच

आख्या रै आगै गई दीख

मायड रै उर री थिरक एक

कामण मद री मनवार पहल

प्याल सू छळकी भरी नेक

यो पळक झाकियो चांद आज

बादळ पडद बीज रात

तरसै जिण हिन्दू मुसळमान

दरसण नू जग री जात-जात

बरसा-बरसा तक मून लेय

अर जोग-जोग रा जोर मार

मुनि अरे अचाणक कियो आज

उण अलख जोत साक्षात्कार

या एक हवा री लहर दौड

पूरब सू पच्छम गई जिम

या एक लीरकी रेसम री

बस लहर-लहर सी गई तिम

या तणिक हवा री हळचळ सूं

इक ओस बूंद ज्यूं कमळ पात

ढुळकी रे ढुळकी ठमी-ठमी

रमगी रे रमगी पूर्ण पात

इण एक मुळक में मधुर प्यार

धरती पै परिया रा विहार

या धवळ चादणी धार अरे

उर-उर में मिळ-मिळ सुधा सार

इण एक मुळक प्रभु महासान

इण एक मुळक ब्रह्माड ज्ञान

इण एक मुळक जग प्राणदान

इण एक मुळक निसि में विहान

इण एक मुळक में राज पाट

सुख अर सपत रा सहस दान

इण एक मुळक सब ठाट बाट

सासण सत्ता रा महामान

इण एक मुळक में वज्रपात

जग छळ छंदा रा निपट नास

इण एक मुळक ब्रहास्त्र जोग

रे कपट झूठ रा महाह्रास

इण एक मुळक भूखंड डोल

उर-उर ओगण करै ध्वस

इण एक मुळक विप्ळव अनेक

पर दुख दरदा रा मिट अस

इण एक मुळक में सहस नाग

फुफकार कर रया है कराळ

या धूजै धग-धग मौत

रग-रग कप रे महाकाळ

इण एक मुळक में विजय घोस

जीवण री सत्ता रो अणत

मिरतू री मिरतू नास-नास

रे ह्रास-ह्रास रा धनु तणत

इण एक मुळक बळहीन होय

बम रॉकिट रा सब कळ विधान

कटु माणस अतर जाय टूट

रागस उर लागै बाण-बाण

यै खंड खंड विध्वंस घोर

रे महाजुद्ध निज व्यग हांस

या देस-देस री धाक खीण

बाळक रै टळमळ मधुर हांस

जीवण री सत्ता मिटै किया

यै किया रुकै रे सुघड सांस

परळै रा परळै गया आय

पण अमर-अमर यै मधुर हांस।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : रामसिंघ सोलंकी ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम (अकादमी) बीकानेर ,
  • संस्करण : दूसरा संस्करण
जुड़्योड़ा विसै