अणगड़ भाटायेली सीताल माते
जेम स हलाटे सेणी माते हातोड़ी सलावी
तो सिताल थकी आवाज़ आवी
भाई! यो हूं करीर्यो है
सेणी ने हातोड़ी लइ ने मने केम तोड़ीर्यो है
मूं तो तारे हर दाण काम आवी हूं।
कणी दाण माते बई ने ते हपनं गड्य हैं
तो कणी दाण थाकी ने पसीना ॐ लतपत थइ
मारे माते हुई ने डनलपी गादी नो मजो लीदो है
में तो तारू कय नी बगाड्यू है
मारू तो भायग स वणा कुम्बार वजू आडू है
जे कतरा जतन थकी थापड़ा बणावे
तड़का मय हुकावे
ने जेम एवाड़ा मय पकावा हारू घाले
बाबो आवी ने सांटा पाड़ी नाके
स्यारे बाजू पाणी स पाणी
थापड़ा गरी जयं
ने हातं मय आवी जाय
गार नो लोंदो
टापरी पासी टपकवा लागे
भायग दांत काड़े
ई हामरी ने हलाट बोल्यो
ना-ना
मारा थकी तारू अहित ने थायेगा
मूं तने कोरी-कोरी ने
आपणी जोगवाई थकी
भाटा ऊँ भगवान बणायूँगा
या कणी मेनका के पसे
उर्वषी नू रूप
आखर मूं तारा बऊ हूं
बखत-बेबखत हूवू हूं
तो मारो बी कय क फरज़ है।
मारू टणकापण मने के है
जारे जनावर बी आपणे मालक ना
प्रति वफादार वे
तो मूं तो मनख हूं
प्रकृति नी सबऊं उसी रचना हूं।
जारे वणी मारा हात मय कला होंपी है।
तो वेनो उपयोग केम ने करूं
केम केना थकी बीयूं
मूं तने अण हातं थकी
श्रेष्ठ कृती बणावूंगा
अणा उजोड़ ने बीयावान जगा ऊं
समाज मय लई जादूंगा
तारे जे
आज तारा हामं देके बी नी
थूंके बी नी
वी स तारी पालोटी मय
मातू नमावेंगा
रात-रात भर, भजनं गावेंगा
ने तने जोई ने
आपो आप वणना मोड़ा थकी ने करेगा
वाह-वाह नो शोर
तारे तने खबर पड़ेगा के
मैं तने हूं ने हूं बणावी दी दी
अबार तो तने थइयो वेगा
दरद नो अहसास
पण जे लाय थकी नेकरे वो होनू केवाय
ने तो माटी हे
ने होना हारू
तपवू ने भट्टी मय गरवू पड़े
तारे स थाये वेनू मोल
प्रतिष्ठा
ने पूजा
मूं तने बणावी
समाज मय बेवड़ावी
पासो वणी स जगा जातो रऊंगा
वणी स जूनी टापरी मय
भूख ऊं लड़तो-झगड़तो
कणी तारा स जेवी
अणगड़ सीताल ने गड़वा।