म्हनै माफ करो,
म्हैं जुद्ध नीं करूंला!
हां, जद इंछा-कांमनां इज की ई नीं है
तो म्हैं जुद्ध कर कांई करूंला?
मां-बाप, भाई-काका-बाबा, मामा-नाना
अर किणी परिजन कै औलाद री
कोई आस नीं है, कोई लगाव के स्वारथ नीं है।
तद म्हैं जुद्ध किण सारू करूंला ?
मिंतर, दुस्मी नै कोई भी मिनख री जात सूं
म्हनै दुरभावना नीं है।
इण वास्तै म्हैं
अबै जुद्ध नीं करूंला।
आ बात नी है कै पैली भी थै हा,
अर आज भी म्हैं हूं अर
कालै भी आपां रैवांला
इणी'ज कुरुक्षेत्र रै बिच्चै
आप जुद्ध री बात करौला, पण
म्हैं जुद्ध किण खातर करूंला ?
आपरौ दिव्य सरूप
पैली देख चुक्यौ हूं
अब औरूं देखण री
नीं तौ इंछा है अर नी हिम्मत है !
म्हनै जुद्ध करणै री 'हां' मत भरावौ,
म्हैं म्हारा इज परिजनां रै सांमै
जुद्ध नीं करूंला
म्हनै महाभारत नीं, भारत चाहीजै !
खंड-खंड नीं, अखंड भारत चाहीजै!