दरद रै अेक

कंवळै से रिस्तै सूं

जुड़यो हूं

जगत सूं

इणी दरद री भावना

म्हनैं जोड़ै है-

हर आंख रै आंसू सूं-

हर मनड़ै री आह सूं

पण जिण बगत

दरद सूं म्हारो रिस्तो

नीं रैवैला

स्यात

देह सूं प्राण रो नातो

टूट जावैला

दरद नीं तो

म्हैं नीं।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : पुनीत कुमार रंगा ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ
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