अेक दरखत अेक जातरू ज्यूं छळावौ चिड़ी हुय जावै फुर्र ... दरद कैवौ हो कोरो ठूंठ खोज मिनखपणै री खुद रो कुण? म्हारो घर परम्परा पिंजरै में फगत रिस्ता सूंपै अेक दीठ थांरी ओळू थूं तो नीं है