अेक दिन

मौको देख'र

मोतो केयो

कै-

निरजीव हूं

तोई लोग-वाग

म्हनै गळै सूं लगावे

गेलै मांय मिळ ज्याऊं

तो-

हरख सागै भाग सरावै

पण-

थां लोगां मांय

इण बातां री कमी क्यूं है

पडूत्तर दियो-

बगत बगत री बातां है

थारे पाणी रो मोल

अबै अणमोल है

अर-

म्हारै पाणी माथै

लोभ, लालच, सुवारथ आद रौं

लील आयगी है।

स्रोत
  • पोथी : सबदां रा पगल्या ,
  • सिरजक : दीपचन्द सुथार
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