केई पीढी टिपग्यी
आंधी उडाबौ करी
बिरखा डराबौ करी
पाळौ धूजाबौ कस्यौ
चांद हुयनै
आभै मांय
टंग्यौ रैयौ
पक्कै मकांन रौ सपनौ!
सड़क काठै
खिंडेड़ी कीं ईंटा ई
बणाय लीन्हौ
अेक लूंठौ मिंदर,
सुण पेपला!
देवता हुवणौ सौरौ
चमार हुवणौ दौरौ।