मिनख जमारो देख ल्यो!

कैयी बाजी जीत्यां

तो कटै-कटै मिली है हार!

हार जीत तो प्रभु रौ खेल है,

बस अबै ल्या खुद ने संभाळ।

स्रोत
  • सिरजक : नरेश व्यास ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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