काची कळियाँ सा कंवळोड़ा,
नैणा री भूख नयीं भागै।
गोविन्द गरू रा टाबरिया,
सरहिन्द नबाबाँ रै आगै॥
सूरज री किरणाँ खेलै ही,
मुखड़ाँ पर पळकै तेज इस्यो।
आपेयी प्रेम उमड़ आवै,
नयीं लळकै अहड़ो हिंयों किस्यो॥
सिरदाराँ रा सिर मोड़ जका,
बै निरमळ हा गंगाजळ सा।
बँदी हा खान बजीरै रा,
भोळा बाळकिया कूँपळ सा॥
भरिये दरबार दिवाण कयो,
थे खाना नै मुजरो करद्यो।
सरहिन्द धणी सामा बैठा,
आँ चरणा पर माथा धरद्यो॥
जे जीवण थानै प्यारो है,
झुकियाँ निसतारो होवैलो।
रिस्योड़ो मोटो खान आज,
थाँनै जीवण स्यूँ खोवैलो॥
सिर ऊँचा अबै निभै कोनी,
बाजी ही आज हार री है।
थे जोर कियाँ नयीं छूटोला,
आ जबरी जाड़ ना’र री है॥
जोरावर सिंघ कयो सुच्चा,
मरणो है जीवण रै सागै।
अकाळ पुरस नै झुकै जका,
कद झुक्या नबाबाँ रै आगै॥
सिर ऊँचा है सिरदाराँ रा,
ऊँची है गरुआँ री वाणी।
म्हे नीचा कुँकर निवँ ज्यावाँ,
पँच आबाँ रो लाजै पाणी॥
सुन्दर मायी रो दूध लजै,
जे अै माथा नीचा होवै।
आ काळख मरणै स्यूँ मोटी,
सिखाँ री जात कियाँ धोवै॥
गोविन्द गरु रा जायोड़ा,
बाजा हाँ सिंघ हिंदालै रा।
म्हे गादड़ कुँकर बण ज्यावां,
टाबर हाँ धरम रूखाळै रा॥
अक्काल्याँ वाळी स्यान झुक्याँ,
भारत रो सूरज रूक ज्यावै।
अै माथा छोटा मत जाणो,
म्हाँ झुक्याँ हिमाळो झुक ज्यावै॥
सिर कटियाँ नीचा पड़ो भलै,
नीचै निवणो जाणा कोनी।
मोटो है एक अकाळ पुरूष,
म्हे दूजै नै माना कोनी॥
आ निरभै बाणी बाळक री,
मन हीं मन सो दरबार झुक्यो।
सरहिन्द धणी तो पीघळग्यो,
पण सुचानंद दीवाण धुख्यो॥
बोल्यो साँपाँ नै मारणियाँ,
पाळै साँपाँ रा सँपळोटा।
बै मिनख बडा मूरख होवै,
जे बैर्याँ नै मानै छोटा॥
ओ राजनीति रो गुर मोटो,
निसकँटक राज जका चावै।
बैरी नयीं छोडै माटी रो,
मेटै तो जड़ स्यूँ उखड़ावै॥
अै छोटा पोधा चिनियाँ सा,
मोटा हो जड़ाँ जमावैला।
उखड़ै नयीं पछै उखाड़्याँ स्यूँ,
काटण में दोरप आवैला॥
दरबार भरै में आज करै,
अै छोटा छोरा बात इसी।
जद बडा भीवं हो ज्यावैला,
कुँण जाणै फेरूँ करै किसी॥
छोटोड़ी खोल कटार्याँ नै,
जिण दिन खाँडा लटका लेसी।
जद भरी जवानी जूझैला,
ईटाँ स्यूँ ईंट बजा देसी॥
धरती पर थोड़ो राज करै,
बैर्याँ पर दया दिखावणियाँ।
कुँकर जीवै, जोरा मरदी,
खुद आप कवाड़ो खावणियाँ॥
मंत्री रो करम हुयो पूरो,
मैं म्हारी राय बतायी है।
है दया धरम री बात ओर,
पण रीत नींत री आयी है॥
सुण बात खान तातो बोल्यो,
तूँ कयी जकी है साचोड़ी।
छोकड़ तो दुख ही देवैली,
जे दया आज करद्या थोड़ी॥
अै माथा है काटण जोगा,
धरती पर पकड़ झुकावाँला।
बैरी अै मुगळ पठाणा रा,
बोटी-बोटी कटवाँ ला॥
बोल्यो उमराव सेरखाँ नै,
अै मोटा बैरी थारा है।
भाई नै, बाप थारलै नै,
सिक्खाँ वाळै गरु मार्या है॥
तूँ आज चूकतो कर बदलो,
जे मन संताप मिटाणो है।
ओ खून सामनै गोविन्द रो,
खाँडै स्यूँ तनै खिंडाणो है॥
सुण बोल्यो खान कोटळै रो,
ओ करम जालमाँ वाळो है।
हूँ बँधियोड़ा बाळक मारूँ,
लानत है, मूँढो काळो है॥
गरु गोविन्द म्हाँरो बैरी है,
बीराँ ज्यूँ बैर चुकावाँला।
रण रै आँगण में ललकाराँ,
खाँडै पर खाँडो बावाँला॥
है काळख बीर पठाणा नै,
बाळक पर खाँडो बायाँ स्यूँ।
लोयाँ रो बदलो घिरै कियाँ?
धरती पर दूध खिंडायाँ स्यूँ॥
दीवान थारलो सुचानंद,
मिनखां री जात लजावणियों।
सैतान सरिसो दीसै है,
अधरम री नीति गावणियों॥
आ राजनीति हित्याराँ री,
सूराँ री सोभा बणै नयीं।
उण दिन ही मानी जावैली,
जद धरा बीर नै जणै नयीं॥
ओ करम कसायी नयीं करै,
हूँ पीयो दूध पठाणी रो।
इण नीती स्यूँ अपमान हुवै,
इसलाम धरम री बाणी रो॥
अै नाना टाबर कटै आज,
सरहिन्द धणी री धरणी पर।
काळख आ नाँवं पैगम्बर नै,
लानत बरसै इण करणी पर॥
कह खान गयो दरबार छोड़,
दरबार्याँ नै देतो धक्का।
लज-खाणा सहा दिवाण हुया,
सै लोग हुया हक्का-बक्का॥
जद खान बजीरै मन चींती,
आ बात म्हाँरली रै ज्यावै।
इसलाम पैगम्बर दोना नै,
दुनियाँ रो दाग नयीं आवै॥
अै टाबर धर स्यूँ मिटै नयीं,
सिखाँ रै घर स्यूँ मिट ज्यावै।
गोरव गळ ज्यावै गरुआँ रो,
सगळोई झोड़ निमट ज्यावै॥
टाबरियाँ नै भोळवै बो,
थे जीतो हार्योडी बाजी।
इसलाम कबूलो धरम झोड़,
म्हे राजी हुवाँ खुदा राजी॥
आ मोटी सुसकल बात नयीं,
पाँचूँ कलमाँ पढवा देस्याँ।
बेटा ज्यूँ थानै राखाँला
पूरा पट्ठाण घणा देस्याँ॥
इण धरती पर जितरा सुख है,
म्हे लाय पगां में नाखाँला।
मोटोड़ो मान हुवै थाँरो,
घर रै टाबर ज्यूँ राखाँला॥
थे बाळक दुनियाँ नयीं देखी,
आँख्याँ यी अबै उघाड़ी है।
म्हे थानै मार्या नयीं चावाँ,
आ बात बडी ही माड़ी है॥
पण जे थे राय नयीं मानों,
म्हाँरी इसलाम कबूलण री॥
जद मजबूरी में कराँ जकी,
फाँसी रै फन्दै झूलण री॥
मानण में यीं सुख पावोला,
म्हे थानै हिंये लगा लेस्याँ।
नयीं मानों तो थे बैरी हो,
भीताँ में खड़ा चुणा देस्याँ॥
बाळक बोल्यो ‘सिरहिन्द धणी,
ओ धरम जलम री घूँटी है।
रग-रग में रोम-रोम रमियो,
आ म्हाँरी जीवण बूँटी है॥
म्हे देस धरम रा दीवाणा,
तूँ के इसलाम पढावै है?
धरती नै धरम सिखावणियें,
गरुवाँ पर धाक जमावै है॥
धमकी दे धरम छुडावै है,
तूँ खान भरम में भूल्यो है।
बै कायर कमसल हीण जका,
डर स्यूँ इसलाम कबूल्यो है॥
तूँ कतल करा, भीताँ चुणवा,
फाँसी चढस्याँ, विष पीवाँला।
म्हे धरम रुखाळा धरम छोड़,
कायर ज्यूँ कदै न जीवाँला॥
थारा सुख म्हाँनै जैर जिस्या,
जे भोगाँला, उबराँ कोनी।
थोथै चोळै नै राखण नै,
म्हे आतम घात कराँ कोनी॥
बै देस दिवाना जूझै है,
भारत में, म्हे बाळक बाँरा।
है बाप सिंघ गोविन्द जिस्या,
रखवाळा दीन गरीबाँ रा॥
गरुआँ रो खून नयीं पाणी,
धरती पर पड़ताँ रंग ल्यासी।
खाज्यासी पाप पठाणा नै,
मुगळाँ रा तखता उळटासी॥
आ बात खान तूँ खरी जाण,
जे म्हाँरा माथा कट ज्यासी।
जद अक्काळी पाछा घिरसी,
माथाँ स्यूँ धरती पटज्यासी॥
दुबळा नयीं सिक्ख पठाणाँ स्यूँ,
जद जुलमाँ रो बदलो लेसी।
सर हिन्द जिस्याँ री के गिणती,
काबल कन्धार हिला देसी
तूँ बँधिया बाळक मारैलो,
धिरकार पड़ैली जणनी पर।
जुग-जुग तक धूड़ उछाळै ली,
धरती इण कोझी करणी पर॥
धींगाणै धरम मनावण री,
जबराई नै जग सवै नयीं।
ले ओट धरम री जुलम करै,
धरणी रो मालक रवै नयीं॥
म्हाँरो मरणै में मंगळ है,
पापाँ रो घड़ो भरिजै लो।
मिनखाँ रो खून ऊबळ्याँ यी,
ओ भार भोम रो छीजैलो॥
बाताँ सुण खान हुयो रातो,
लोकाँ रा हिंया पसिजै हा।
बै देस दिवाणै गुरुवाँ रा,
भीताँ में लाल चुणिजै हा॥
जद छोटोड़ै रै गळै खनै,
ईंटाँ री तह आवण लागी।
मोटोड़ै री आँख्याँ छळकी,
आँसूड़ाँ री बूँदाँ आगी॥
छोटो बोल्यो दादा भाई,
तूँ क्यों इतरो दुख पावै है।
सूरापै वाळा कळँक जका,
अै आँसूड़ा कूँकर आवै है॥
जोरावर बोल्यो फत्तै नै,
हूँ धर पर पैली आयो हूँ।
तूँ आगै जावै है बीरा,
इण कारण हूँ दुख पायो हूँ॥
सुणताँ रो फाटो हिंयो आज,
देखणियों सांस कियाँ लेतो?
आभै रै आँख्याँ कोनी ही,
होती तो धरा डबो देतो॥
बै नाना सा अण मोल लाल,
भीताँ वाळी छाती भरग्या।
सुरापै रा सिर मोड़ हुया,
बीराँ नांव अमर करग्या॥