घर मांय
रैवता थकां भी
बेघर हुय सकै
मिनख
पगां मांय
चक्का लगायोड़ो
मिनख भी
हुय सकै
आपरै घर मांय
बात घर री नीं
ठैराव री है
जठै ठैर जावै
मन
बठै ई हुय जावै
घर॥