लोग वीं नै धुरकारै

वा लोगां नै।

लोग वीं री कूंट कढ़ावै

वा लोगां री।

लोग वीं रे लारै भाजै

वा लोगां रै।

बीसवीं सदी

एक गैली लुगाई।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण