अेक देवता मरग्यो

भोत पैलां

अर खुसगी पांख्यां

म्हारै नेहचै री।

अबै कोई कहाणी कोनीं बणै

ना कोई सबद जुड़े सबद सूं

लागै जाणै

कोनी ऊबरी कोई ठौड़

म्हारै खातर

आं सबदां मांय

अर जे ऊबस्या है तो

फगत थोथा विचार!

म्हैं म्हारो

थाकैलो लेय’र

पसर जावूं।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : सतीश छिम्पा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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