मिलस्या म्हारा मीत

जरूर मिलस्यां

अै फूल अर कांटा

अै आंसू अर हंसी

नेड़ै हुवण रो अेक सुख

अर दूर हुवण रो दुख

कद मिलै धरती अर आकास

कद मिलै नदी अर पहाड़

आपां रै दूर रैवण रो सुख

फगत आपां नै मिलै

क्यूंक आपां

अेक तो हां

म्हारा मीत।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : गोरधनसिंह शेखावत ,
  • संपादक : श्याम महर्षि
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