बैली!

बिस्वास हुवै काचो सूत!

धियान स्यूं सुळजाव

धियान स्यूं कात

धियान स्यूं ताणो ताण

सुण!

चिन्हो'क खींचताण स्यूं

टूट सकै ताणों

पड़ सकै है गांठ!

बैली म्हारा

बिस्वास हुवै काचो सूत!

धीजै स्यूं कात।

स्रोत
  • सिरजक : पूनमचंद गोदारा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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