एक दिन

दिनूग्यां सूँ पैलां ही

ढोलीड़ो आयो

घर में बड़तां हीं

मूँ थोथो कर कर

मोथो बोल्यो,

अन्नदाता सुभराज

वणपोतां लाखां पर लोखण

चाँदी रा बादल बरसो-

बखाण कियो बिड़दायो

का पैलै भचकै ही लारै सूँ

बोली बोली,

गण्डकड़ी पीण्डो पकड़ी अर गरळायो,

ओ...य... अन्नदाता मरग्यो।

काको करड़ा कोधी हा

बारै चौकी पर बैठा हा

ओय अन्नदाता मरग्यो सुणतां ही

नीचै आया

लाठी साँभी

थाप उबाकी बोल्या,

साळा तूँ मरग्यो का अन्नदाता

दिनूगै सूणो मूंढै सूँ कोझो बोलै

बपराई तो लाँबो कर दूँला।

डूमड़ो मूँ कर बिच्छू खायै बानर रो सो

मिन्नी सूँ डरतै ऊन्दर रो सो

होलै सै बोल्यो,

अन्नदाता रूळग्यो।

अबकै काकै नै चिण्डाळी आई

टेकी थाप डूमड़ो गुड़ग्यो

थारो हियो फूटग्यो-राम निसरग्यो

अबकै मूँढे सूँ सावळ बोली

नहीं तो आवै है डाँग

टाँग दोनूँ टूटैली-

कण दीना हा पीळा चावळ

अठै ठोकै हो पींडोळी।

रोळो सुणतां ही हूँ दौड़्यो भाग्यो

आगै देखूँ तो

काको कूटै

डूमड़ो बोकै कर-कर रोळा,

ओ...य...अन्नदाता मरग्यो।

मन में सोची,

जे ओजूँ नहीं धाप्यो तो

भळे कै बाप नै

चाँदी रा बादळ बरसो

निठ काकै नै ठण्डा मीठा घाल्या

बीं रै मिरचां दाबी पाटो बाँध्यो

का धीरै सै बोल्यो,

अगलै घर सूँ आछो राख्यो

भली चुकाई आज बधाई

पण कँवरा कींनै देऊँ दोस

म्हारै भोड भुँआळी खाई,

पण इत्ती भली करी भगवान

साची कूँ,

जे थे आवता तो

काको आज मनै मारता जी सूँ

हूँ बोल्यो रे डोफा!

खनलै घर में हुयो गीगलो

म्हारै तो छोरी जाई,

पण तो ही बाळनजोगा

बड़तां ही पैलां हेलो तो करणो हो

आज पिरोळ में कुत्ती ब्याई।

सेठ हजारी रा पइसा हा,

कारण घरे कीं खांड मँगाई

गुवाड़ बिचाळै सेठ खड़ो हो

मुळक-मुळक मिलतां हीं बोल्यो,

थे खुद ही मिलग्या

जबरो काम करयो

हूँ तो रिपियाँ खातर

घर खानी आवै हो

परियाँ पाटो बाँध्यां

पींडी पकड़याँ ढ़ोलीड़ो बैठो

म्हे बात करै हा,

का अळगै सूँ डाँग टेकनो

बिच में बोल्यो

मूँढ़ो कर फीडैं खेटर

तिग तूट्योड़ै टूँटर रो सो

सेठां आछो काम कर्यो

नहीं गया तो

भली करी भगवान

पुन्याई थारी साबळ समझो

नहीं तो

थे ही केई दिन याद राखता

कै इंयां करी ही उगराई

लोट तो मिलता सा मिलता

पण, लाधती गण्डकड़ी ठाई

बीं सूँ ही जे नहीं धापता तो

पछै काको टेकतो कंठ मिठाई

बीं रै मूँ खानी देख्यो जद

मनै खासी हँसी आई

हँसतो हँसतो हूँ बोल्यो,

सेठां थे फोड़ा मत देख्यानो

जातां रत्ती पाई पाई,

तो ही कैणो आछो

जे आँवण रो काम पड़ै तो

पैलां हेलो कर लेया, कारण

आज पिरोळ में कुत्ती ब्याई।

काळ दादी नै बुखार घणो हो

दादी नै देखण बैगा आया

हूँ डाक्टर वर्मा नै कै आयो।

बे हँसता हँसता बोल्या,

काँईं सल्ला

अबकै दीसै-

डोकरड़ी आगीनै जासी

पाळै में माल खुवासी

हूँ बोल्यो, जासी या रैसी

आं बातां में कींरो सारो?

पण जे बात हुई तो

नूँतो तो नूँतै री जाग्यां

सागे थारो काँसो न्यारो

वर्मा जी बोल्या,

अबार तो बीजी हूँ, पण

आयो ही राख भरोसो म्हारो।

झालर बाजण री बेळा ही

मोटर आई ,हार्न बाज्यो

सुणतां हीं हूँ बारै भाज्यो

पण कुत्तड़ी कोझी ही रोवण जोगी

दिन रे थारो धणी मरे

करतां करतां

कीं दाँत लगाया

गोडै ताँई पैंट फाड़दी, अर

लकड़याँ लारै आप दौड़गी।

देखतां ही

वर्मा जी बैगा सा बोल्या,

दादी थारी पड़ो दरड़ में

म्हारै को बायड़ नी,

फीस गई भैंस री पूँछ में

पैंट रा पइसा कुण देसी-

आयो तो बेमारी मेटण

तें तो उल्टी गळै लगाई।

वर्मा नैं राजी राखण

मैं पैलां तो, कुत्ती नै काढ़ी गाळ घणी,

पण कुण जाणै,

आगोतर कुत्ती रा काळा चाब्या-

का ओजूँ हो वर्मा नै-

दादी रो देणो बाकी,

सोळै रिपिया फीस रा दीना, अर

जी सूँ ऊपर

सीख में एक हरो पत्ती और भलाई

ऊपर सूं जोड़्या हाथ

माफ कर्या थे

हूँ तो के'णो भूल्यो

आज संभळ'र आया

पिरोळ में कुत्ती ब्याई।

तीखा कान पाँख सी पतळी

लांबो झबरो पूँछ

नाम हो टिवली

पैलां हो आँख्यां में सास

आस नहीं जीवण री,

दीखत री करड़ो कोझी बाळन जोगी

पेट चिप्योड़ी राफखिण्डयोड़ी

बास में धक्का खाँती फिरती

बाँझ मरै ही पाँवली न्यारी,

पण किरपा करी करतार

भाग री बात टिवली री बेळा आई,

ढळी जवानी हुय अध बूढ़ी

बळी अैसके ब्याई।

आप तो दीखत री करड़ी बेडोळी

अध बोळी साव सूगली

पण भाग रो कूकरियो

काळो कोडाळो

दट्टो सो बाघड़-बिल्लो सो

बड़ो फूठरो लाई

लुगायां बास री बोली

बापड़ी री बूंढ बारै कूख खुली।

सगळाँ मिल

टिवली री सवाढ़ कराई

गुड़ रो सीरो नाँख नाँख

टिवली नै करी सवाई

अब टिवलो री मत पूछोना

इतरी माथै चढ़गी

सिर में घाली राख

राँड नै रोटी नाँखो

सूँघ परी परियाँ जासी

जद हूँ सोचूँ

करड़ावण री कूची

बूची राँड

अबै धान सूँ धापी दीसी

सामी थाळी ठोकर देवै

राँड में फोड़ा पड़सी।

छोरां-

दळियो दूध छाछ राबड़ी पा पा

कूकरियै नै आछो पाळयो

टिवली रै लाडेसर रो

छोरां बामण नै ही को पूछयोनी

बेटां बिना टोपणै

टीपू नाँव निकाळयो।

सारो दिन

छोरा ईंरा बुक्का लेवै

लाड करै गोदी में राखै

जद हूं सोचूँ

मा रो गीगो-

टीपू करड़ो भाज्यो दीसै

अजकालै-

टीपू आप करै घोरको

माथै चढग्यो

दीसै

टिवली रै सिर खाणी

सासतर में बात लिखी

जिसी है खाण

बिसो ही हीरो जाणो

खैर हुओ हुवाओ

बीती बात

जिकै री बँटी बधाई

जद लावण लागी रोज ओळंभा

घर सूँ काढी

लार छुडाई

टिवली बळी आगड़ी

कठै ही गई गवाई

पण ओजू चाले बात बियां हीं

पिरोळ में कुत्ती ब्याई।

स्रोत
  • पोथी : पिरोळ में कुत्ती व्याई ,
  • सिरजक : अन्नाराम ‘सुदामा’ ,
  • प्रकाशक : धरती प्रकाशन
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