(1)
एक लुगाई रोवे की उका बाप को दियोडो गाणों उको धणी गिरवी रख दियो
रोवणो गिरवी को कोने रोवणो है के मालजादी जिठानी अबे हँसेली ।
(2)
एक लुगाई के काँचळी मयलो एनीकट भरगयो।
एर चादर डाकबा लागगी
हाल तो दो फाकी निनांणी बाकी है।
बुळया पे टंगयोड़ी झोळी में टाबर पड्यो पड्यो रो रियो है।
(3)
एक लुगाई के जापो हुयो
दोराणी विकी बेटो जण्यो।
वा चार छोरिया जण भी जापा का लाडू ने चाख्यो ।
दोराणी भाग फाट्या उठ-उठ सूंठ खावे।
(4)
एक लुगाई ने भतीजा का ब्याव में मल्यो मन मांग्यो कब्जा को बटको।
दारी को दरजी कब्जो बगाड़ दियो।
कटोरी कट टुकयां मेलणी ही।
सादो सी दियो।
(5)
जिंदगी कोई के बाप की सगी कोने
थोड़ा थोड़ा रोज सब रोवे ।
रुदालियाँ भारा पाड पाड रोवे।
कोई छाने छाने रोवे।