(1)

आटा की चालणी में आटो चाळते बखत
जो तू तीन आँगळीयाँ फेरे है न
लागे ज्यां तीन ही लोक पर थारी ही सत्ता है।

(2)

स्त्री राखै आपका सुख दुःख एक ही हथेळी में 
जियाँ राखै ळसण छोल न एक हाथ मे
एक हथेळी स्त्री की खाली रेवे दुनिया के लेण देण खातर।

(3)

खेलडी पर बळती रोटी को
काळो दाग स्त्री के काळजै को दाजणो है।

स्रोत
  • सिरजक : उषा राजश्री राठौड़ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै