आ काया पंचभूतां री
नीं जाण सकै
काया सूं बारै री बातां
इण जगत री
कै जीव जात री,
काया तो माटी री होवै
माटी ता माटी नै जोवै।
पवन अर अगन
अंकास अर जळ
माटी रै सागै गूंथीजै
अै पांचूं मिळ 'र
बण जावै अेक काया
इणसूं जुड़ जावै
सांसां रो साच,
जितरै रैवै औ मेळ
जीव रमतै रैवै
काया रै इण आंगणियै।
झीणी झारी तांतां
सांसां री बाजै
काया रै सागै रमती रैवै
जीव री सांसां
चालै जितै ई
काया इण जगत नै
खुद री सगळी बातां कैवै।