(एक)

पेट रै पाटी बांध-बूंध
कुबेर बण
अंवेरता रैया भूख
आखी ऊमर
संच्यौ धन
आपरी पूग सूं
परबारै आप!

छोडियां इण सै नै
सैल ई सैल
व्हैग्या हा व्हीर
आपरी मंसा रै मापै
लेय लियौ हौ मारग आप...

हाब-गाब
व्हैग्या हा म्हे
जागग्यौ हौ मसाणियौ वैराग
म्हां सगळां रै मांय
कै
आपरै ई ज्यूं
खाली हाथ
सीधावणौ है सै नै
पछै कूड़ा है 
रिस्ता-गनां
कडूंब-कबीला 
फिजूल है
लीर-लीर सीणौ
अर
कातणौ झीणौ।


(दो)

अंतस रौ इमरत बरसायां 
आप तौ चढग्या हा 
हर रै हिंडोळे
अर
भींज्या हा म्हे

जणै-जणै सूं 
निसरी-गमकी ही नदियां 
फूटिया हा झरणा 
मूंडै-मूंडै मैकी ही 
आपरै ई 
सुरंगे फूलां री सौरम जीसा!

आपरै ई दियोड़े ग्यांन अर 
उणरै दीपतै उजास 
म्हे आपने खांधौ देय 
पंचभूतां रै कांठै तांई 
पूगाय आया हा जीसा!


(तीन)

चितारतांईं
व्है जावौ परगट
उरस सूं उतर
उरस-पुरस
आप तौ
पंचभूतां सूं
मुगती पायली ही नीं
जीसा!


(चार)

आपरी ओळूं आवताईं 
झुरण लागै
मन अर आंख

वेवण ढूकै 
ईलियौ अधरात

स्यात
सुपना मांय आप 
आपरै पोतै सूं
बंतळ करण
आवता व्हौला
जीसा!


(पांच)

तोटां रै तूंगियां चेती 
भूख नै भरमायां
चांणचक ई
यूं
पूग सूं परबारा आप
माया री मेड़ियां
कीकर चढग्या
जीसा!


(छव)

आपरै ई ज्यूं 
म्हांनै ई कठै है 
पौळाई!

भाजां ई भाजां हां 
दिन अर रात 
आठूं पौर 
आंतड़ियां रै बोलां सूं 
अळूझ्योड़ा
म्हे...

किणी अेलम री नाड़ी टंटोळता 
सळवळतै वीखै पज्योड़ा 
कादै मांय कळीज्योड़ा 
पचां हां पंपाळां रौ गांणौ गाहण 
आपरै ई ज्यूं लाटा लाटण नै
जीसा!
स्रोत
  • पोथी : मुगती ,
  • सिरजक : मीठेस निरमोही ,
  • प्रकाशक : मरुवाणी प्रकाशन,जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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