बापू म्हारा!
म्हनैं पण अबै पतियारो हुयौ है
म्हारै जद कांधै माथै
घर-गिरस्थी रो बोझ पड़यो है।
कमा’र खावणो
अर औलाद रा
अलेखूं सुपना पूरणा
भोत अबखा है
थे आ बात भोत पैलां कैवता...
साच्याणी बापूजी
थांरी रटायोड़ी बातां
म्हारै ऊंडै हियै बैठ्योड़ी है।
जिकी बातां
थे म्हनैं रीस मांय आय’र कैवता
बै सागी बातां
म्हैं म्हारी ओलाद नैं कैवूं।