बट्ठळियो-बाल्टी, कुहाड़ियो-दांती

कुंडी-घोटो, घड़ो अर लोटो

थाळी-बाटकी, जेई-चोसांगी

अर पोरी वाळी डांग

आं सै चीजां माथै भरोसो है किरसै नै

कद'ई

कठै'ई

काम आय सकै है अड़ी मांय

पण

लोकतंत्र, नेता, समता, विकास

जेड़ै मोटै-मोटै आखरां माथै भरोसो नीं रेयो अबै

धोखो घणो खाय लियो आंस्यूं

भरोसै वाळी चीजां कर सकै है न्याव अब तो।

स्रोत
  • सिरजक : अनिल अबूझ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै