बांध पगा में घूघरा

गाव आज धमाळ रे

मिणतमजूरी रा बेटा

करसी आज कमाल रे

फागण मास रगीलो आयो

नाचै लोग लुगाई रे

लाल किरण सिणगारै धरती

पून चलै सरमाई रे

च्यारू कूटा बजै वासरी

घर-घर उडै गुलाल रे

बाध पगा में घूघरा

कमतरियै घर टाबर जाम्यो

बाटै भेली गुड री रे

फळसै आगै ढोल बजावै

ठाकर लायो कुडकी रे

गढ-कोटा रो मालक ठाकर

क्यू करसो कगाल

बाध पगा मे घूघरा

खून पसीनो सीच जमी में

करसो अन-धन निपजावै

करमा आडी पाळ बाध दी

कामचोर धर लें जावै

नुओ जमानो दे ललकारो

करसा होस सभाळ रे

बाध पगा में घूघरा

ऊची मेडी गोगैजी री

भेळा सै किरसाण जी

जुलमखोर स्यू आज लडैला

मन मे है अभिमान जी

मुखिया बैठ्या मूछ पलारै

धजा फरूकै लाल रे

बाध पगा मे घूघरा

धर-धर जोस जवानी जागी

दुख-दाळद सो भागै रे

मा धरती री लाज राखलो

सै मिल चालो सागै रे

खेता मे सोनो ऊगैलो

कदे पडसी काळ रे

बाध पगा मे घूघरा

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : त्रिलोक शर्मा ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम (अकादमी) बीकानेर ,
  • संस्करण : दूसरा संस्करण
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