करलै घणी चतराई

फळी-फूली नीं चतराई

बखत बेळा भाई

सदा बदळती जाई

कदै ना कदै तो काळ पड़े

फेर जमानो आई

छोड़ माथै झालणो

हाल घणोई है चालणो

खातर हो बेफिकर

चिंता करणी है

रोग पाळणो

बाकी सै बिसार

कीरोई जी नीं बाळणो।

स्रोत
  • पोथी : हूं क तूं राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : नगेन्द्र नारायण किराडू ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै