मेलै अर भीड़ में

फरक रात-दिन रो।

भीड़

मन बायरी

मगज बायरी

जिणरो कोनीं हुवै

कोई दीन-धरम

मेळै रै नांव सूं

घेर-घुमेर नांव सूं

घेर-घुमेर नाचण ढूकै

मन रो मोरियो

मेळै मिस

हियै हरख

मूंडै मुळक

अर आंख्यां चमक

सतरंगी सुपनां री।

मन मिळ्यां

हुवै मेळो।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : मदन गोपाल लढ़ा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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