बरसां बाद

गयो मेळै।

मिठाई-खिलौणा

गाभा-जूता

सीडी-मोबाइल

बैंक-बीमा, प्रापर्टी री

मोकळी ही दुकानां

अर बेथाग ही भीड़

पण मेळो कोनीं हो।

मेळा नैं

खाग्यो बजार।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : मदन गोपाल लढ़ा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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