अब पाग कोनी दीसै!
पाग किंयां दीसै?
पाग सारू सिर चाइजै!
पळकतो माथो चाइजै!!
मिनखपणो चाइजै!!!
जिको उण नै साम्है
इणनै उंचायां राखैI
सिर..
माथा...
अर मिनखपणो....
कठै रैया अबार..!
अबै री घड़ी
खाली धड़ां है
जिकी पड़नै अर आखड़नै रै डर सूं
घड़ लिया है,
फगत दरसाव देखता मुखौटा!
वान्नै वगत सारू ओपावै
सरकस रै जोकर दांई
पछै मिनखपणै मांय
सार ई कांई!
पाग सारू काळजो चाइजै,
जको ढांडां री रो'ई मांय
दाकळतै सिंघ री
काढ देवै काण..!
पाग सारू मूंछ चाइजै
एक बाळ अडाणै मेल्यां
आडै वगत मांय
जिण सूं बच सकै
मिनख री आणI
बाई-गट्टां री बातां बिच्चाळै
काळजा अर मूंछ
कठै दीसै अबार!
च्यारूंमेर उभा है
पूंछ हिलांवता चैरा
कोई तंत नीं सारI
पछै पाग
किण रै ताण टिकै?
माथौ, मूंछ
अर काळजै दांई
लुक नीं सकी बा...
बापड़ी साफो बण
टुकड़ां मांय बिकै!