हथैळ्यां में थाम

मुळकतो-खिंडतो

सांचै ढळ्यो

गोरो-गट

मुखड़ो

बै बोल्या-

‘‘चांद म्हारै हाथां में.!’’

चांद.!

सैंतरो-बैंतरो

पंपोळै थोबड़

मन में गिरगिराट..

‘‘इयां कियां..?’’

स्रोत
  • पोथी : चाल भतूळिया रेत रमां ,
  • सिरजक : राजूराम बिजारणियां ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै