पढतां पढतां

कदैई किणी टैम दिन रा

आंख्यां मसळण नै चसमौ उतारूं

के निजर धकै पळकण लागै

वौ रौ वौ हूबोहूब

धुंधळौसोक दरसाव

जिकौ चसमौ चढण सूं पेली हौ

यूं रौ यूं

रात रा चसमौ खोल सिरांणै धरूं

के वौ दरसाव आय पगात्यां ऊभ जा

जांणै अबार आज व्हैतौ व्है

चसमौ अेक अजब चीज

हरमेस मगसी दीठ री हद सूं धकै जलमै

अर अेक माठ ऊभी कर जावै

बीत्योड़ा अर बीतता बिचाळै

कायदौ जोर रौ

चसमौ अमूंमन चाळीसां में लागै

अर फगत ओळूं देखण रै काम आवै

लगैटगै दोय दुनियावां रै सांधै

जठा सूं सुरग-नरक री गळियां फंटै

उणरै चोवटै

अपां बुरस मोलावण जावां

जद के अपां कनै रंग नी व्है

अर चतर वोपारी

उपासरा में कांगस्या बेचण वाळा

अपां नै चसमौ झिलाय दे

अपांरी दीठ नै अेक सपनौ समळाय दे

सुभट सावळ किणी नै नीं दीसै

इण चसमा रा काच रै

कलदार री गळाई दोय पट व्है

अेक कांनी व्है दरसाव

दूजी कांनी दीठ

विचाळै पुड़त में भर्‌योड़ौ व्है भीत समियौ

चसमौ घणों केवण में अेक

पण वौ आपरा व्याकरण में हरमेस

बहुवचन व्है

अगन अर पांणी दोनूं में पसर्योड़ौ

ताती अर सीळी तासीर लियोड़ौ

अेकै साथे सूझतौ अर आंधौ दोनूं

जांणता-वींणता

मिनख मोलावै चसमौ

समझ में नीं आवै

अेक सैंपूर दरसाव जांणै जूंण

उण सूं देखण में नीं आवै

अळगा तांई देखण रा उमाया

जांणै कोनी इत्ती सी बात

के दरसाव लारला छापर री सून्याड़ में व्है

उणरौ फोकस

सदीव सूं।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकाश देवल ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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