प्रेम, प्यार

आपणां नै छोड़ आयौ हूं

सगळा री रोटी खातर

सगळा नै छोड़ आयौ हूं

चाल्यौ आयौ हूं

परदेश कमावण

पिण

म्हारो दिल, म्हारो वजूद

घरां छोड़ आयौ हूं।

सगळा री रोटी खातर

सगळा नै छोड़ आयौ हूं।

स्रोत
  • पोथी : बगत अर बायरौ (कविता संग्रै) ,
  • सिरजक : ज़ेबा रशीद ,
  • प्रकाशक : साहित्य सरिता, बीकानेर ,
  • संस्करण : संस्करण
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