चुणावां री घोषणा होतां

म्हारै पेट में कीड़ो कुळबुळायो

बीं सिंझ्या जा’र

चौधरी रो कुंटो खड़कायो

चौधरी साहब नै बां'रो

वादो याद करवायो

म्हानै चुनाव लड़ान खातर

सगळै गांव में हैलो मरवायो

दिन ऊगतां गांव रा सगळा

दारूखोर म्हारै घरां पूगग्या

विरोधी नै गाळा काढता-काढता

सगळा रोट जीमग्या

मनै मोटा-मोटा सपना दिखा'र

बांस पर चढा दियो

सगळी जिग्यां मेरी जै-जै

बोल'र भाव बढ़ा दियो

हाथ जोड़'र दांतरी दिखा’र

सगळा नै राम-राम कैंवतो

भाईयो और बहणो

शुरू कर दियो

चुणावां रो प्रचार

बेली देवण लाग्या

नूवां-नूवां विचार

कोई कुड़तो खींचै

अर कोई खींचै हाथ

ईंयां लागै जियां गांव रा

सगळा है म्हारै साथ

सगळा रा सगळा आथण नै

मनै जिता'र सोंवता

कैंवता, आपणी जीत पक्की

विरोधी फिरैगा रोवंता

सपोटिया, सगळै दिन पींवता दारू

अर पाड़ता रोट

पण म्हानै जमा नीं

लागतो, बामै खोट

पन्द्रह दिना में

पचास मण कणक चाटग्या

दस हजार री दारू

पचास हजार नगद बांटग्या

घणो करजो सिर पर होग्यो

पण नेतागिरी रा आंता सुपना

बेली कैंवता, अेकर हाथ लागज्यै

फेर ठाट देखी आपणा

सागी दिन तो रूपक लगाली

दस पेटी दारू और मंगाली

जियां-जियां वोटां री गिणती होई

सागड़ती सरकाण लाग्या

बानै तो पैलां ही बेरो हो

पण म्हे अब जाग्या

रिजल्ट सुणता म्हानै

आग्यो तिंवाळो

आज चुनाव हार्‌यां हा

तड़कै घर गो निकळसी दिवाळो

जिकां पियाई दारू

अर जीपां में ढोया

बारा वोट और कानीं

पोल होया

म्हूं जाण नीं सक्यो कै

राजनीति ईंनै कैवै

वोट किंनै देणो

सागै किण'र रेवै

उधारिया सगळै दिन सेकता

मिलता बठै टोटको फेंकता

हार-जीत तो होवै ही है

दिल ना करो छोटो

पण म्हूं जाणै हो के बीती

म्हारो सिर, म्हारो घोटो

आगै सारूं चुणाव नीं लड़ांगा

सोगन खाई

सपोटिया महीनै तांई काचा काटग्या

सागै करी जग हंसाई।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (तीजो सप्तक) ,
  • सिरजक : सतीश गोल्याण ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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