धरती धोरा री, म्हारो प्यारो राजस्थान,

धरती वीरा री, किण किण रा करू बखाण।

अठै बाजरै री रोटी, सागै फळियों को साग,

धरती धोरा री, म्हारो प्यारो राजस्थान॥

मिनख पणै री नीव दीठी, पाथळ पीथळ वीर म्हान,

जयमल पतो डावै जिमणी, गोरा बादल रा गुण गान।

मीरा री भक्ति मिली, पदमावती जौहर रो प्रकास,

धरती धोरा री, म्हारो प्यारो राजस्थान॥

जुद्ध लडियो हल्दीघाटी, माटी रंगीजी छै लाल,

सिर कटीया धड लडी, संत सती देव जाण।

पाबू हडबू रामदे गोगाजी, मांगळिया मेहा रा थान,

धरती धोरा री, म्हारो प्यारो राजस्थान॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : रामाराम चौधरी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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