दुनिया नौ मोटौ आदमी

दुनिया नूं हेत्तं करतै बौदू काम करै

तौ मन

उदास थई जायै

उदास मन

खूंणा-खूंणा मअें

उदासी’ज जौवै

विच्यारै

दुनिया मअें कय न्हें रयू

दुनिया मअें हेत्तू खूटीग्यू

दुनिया मअें हेत्तू खूटवा पूठै भी

दुनिया मअें हेत्तू न्हें खूट्यू है

है

हेत्तू है

पृथ्वी है

आपणी जगा माथै’ज है पृथ्वी

आंगास है

जणा मअें अबार भी हैं

तारा, ग्रह, उपग्रह

घणा खरां आकासिय पिण्ड

मनखं हैं

रुंख हैं

है

पाणी भी है

न्हें मट्यू है पाणी।

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : भविष्यदत्त ‘भविष्य’ ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी ,
  • संस्करण : प्रथम
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