विस्तार चढिया बथूळिया में गोळ भंवतौ सिखरौ
कोनी सुण सकै आपरा धणी नै
चीजां छिटकै आगी, थांम कोनी सकै धुरी
घिरगी है कोरी अराजकता संसार माथै
चढियौ है लोही धूंधलौ ज्वार
अर ठौड़-ठौड़ डूबग्या है निरदोसी संस्कार
उत्तम लोगां में कोनी रयी आस्था
अर कामुक प्रचंडता भरिया है अधम लोग।
निस्चै नैड़ौ है कोई दैविक संदेस,
निस्चै हुवणावाळौ है दूजौ अवतार
दूजौ अवतार! उघड़तां ई अै सबद
सतावै म्हारी दीठ, आतमा रै सुन्न अकास रौ महांन आकार,
मरुथळ रै धोरां कठैई धीमी जाघां हालै कोई रूप
मिनख सूरज जैड़ा सूनी अर आकरी दीठ
अर लड़थड़ै उण रै च्यारूं मेर
रोस में खमखरियां खावता मरु पंछियां री छींयां
पाछौ घिरग्यौ अंधारौ, पण अबै म्हैं जांणग्यौ
कै पथरीली नींद सोई बीस सदियां
कीकक भिचकगी खोटै सपनै अेक झूलता पालणा सूं
अर कैड़ौ खूंखार जिनावर, जिण रौ डांव आयग्यौ सेवट
कमर झुकायां चालै बैथलांम में जलम लेवण।