व्हाला

नीं है म्हनै

रात रा सुपनां

सुवाया है

हरेक रा...

चिळकती धूप रा सुपनां

अंवेरी हूं साख

इण साल खेत में म्हारै

उण सूं भी व्हाला है

आवती साख रा सुपनां!

स्रोत
  • पोथी : सगत ,
  • सिरजक : शंभुदान मेहडू ,
  • संपादक : धनंजया अमरावत ,
  • प्रकाशक : रॉयल पब्लिकेशन ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै