कित्ती सौरम सूं भरीज्यौ हौ घर
जांणै मूंडै बोलै ही हरेक चीज
थूं रसोई मांय बणावै ही म्हां सारू ढोकळा
मां देखै ही कित्तै नेह सूं रिंकी
म्हारै जूंण सागड़दी रै उणियारै थन्नै
म्हैं अलमारी हाथ मारतौ
कोई पोथी हेरनै टाइम पास करतौ
करै हौ म्हारी साळ मांय थारी उडीक
कै बापू आया जमराज री भांत
लेयनै हाथ मांय जांणै कोई घोटौ अर
कीन्हीं चोट सीधी म्हारै सपनै माथै
निरभाग माचै रै अेक पासै पड़ौ
लोहीझरांण सपनै सूं मुंडौ फेरनै जावूं रसोई
देखूं, कित्तै दिनां सूं कांसण पड़ा हैं
सींक मांय मंजणै री उडीक मांय
सईकां सूं नीं चढ़ी है कोई देगची चूल्है
जूंना हुय सळ भरीजनै ऊग्यायै आलुवां बिचाळै
उड रैया है कांदा रा छूंतका
दम तोड़ दीन्हौ है छाबड़ियै पड़ौ ल्हसण
जांणै किणी उडीक में पीळौ
अर मांदौ पड़-पड़नै।