कै तो किरत्यां मन बिलमागी

कै किरणां ले सागै भागी

कै देख चांदणी सरमागी

बादळ री ओटां में आगी

कै तारां संग खेलण लाग पड़ी

बा सपनै री सोन चिड़ी।

कै अंबर में ऊंडी बड़गी

कै बण’र ओस धरत्यां पड़गी

कै फूलां रै नैणां जड़गी

कै मांय बेकळू रै गड़गी

कै कांमण करगी कोयलड़ी

बा सपनै री सोन चिड़ी।

पलकां री पेड़ी पग धरती

नैणां री मेड़ी में बड़ती

बा आई कीं कैवण लागी

पण इण पै’ली बात बिगड़गी

दगौ देयगी नींदड़ली

गमगी सपनै री सोन चिड़ी।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : इन्दर आउवा ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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