म्हैं इण बुढ़ळिया सूरज नै, बदळणौ चावूं हूं
जकौ, म्हारा सोसनिया सुपनां ने भांग
हमेस-हमेस
फेर वाईज, सागै ई
मांदी नै मगसी सुबै
म्हारा आंगणां में छोड जावै
कठै म्हैं,
म्हारा सोनल सुपनां रौ सरमाट
इण बुढ़ळिया री अेक किरण सूं इज
म्हैं
थड़ बटीला काळा-धौळा केसां रौ
ना कुच क्लर्क बण’र रैय जावूं
इण री अै अलेखूं किरणां, म्हनै ई-नीं
अलेखूं तारां रा
सुपनां खोस
खाली हाथ ऊभा हौ
लाऔ!
थारां हाथ,
म्हारै हाथ में दै दौ
म्हैं इण अेकल सूरज नै बदळणौ चावूं हूं
म्हैं तौ चायौ है
हरेक रै आभा में
अेक सूरज व्है, अेक सुपनौ व्है
जिण सूं किणी री सुबै
नीं मांदी व्है,
नीं मगसी व्है।