बापू

थांकी चसमा

आखामलख़ का दरदळ सूं

मुगती की साक्सी!

पण थांकी

चसमा का दोन्यूं काचां की

दीठ को आंतरौ

कुण बांचै?

आज तो

मनमान चसमा की दरकार छै बापू

मनख की आतमा कै लेखै...

थांकी

अमोली चसमा का दोन्यूं

कांचा पै पड़्या छै

आज़ादी का टूट्या सपना का लरड़कां!

पण

हाल बी मौजूद छै

दोन्यू कांचा में

बखत की सीम

ज्यां पै

लाग रह्यौ छै बापू

थांका आंसूवां को नूण।

स्रोत
  • पोथी : बापू-अेक कवि की चितार ,
  • सिरजक : ओम नागर ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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