रै भाया, रुक मत भाई, झक मत भाई

ऊजड़ खड़ती आंधी आई

दो झटका दे ढळ जासी,

गळ जासी रेत चढाही

रुकतां पैली आप मरैली,

जीव जठै तक आगै जाही

रे बेली, काया कंवळाई

अड़ब रंगीला, काळा, भूरा, पीळा जागै, बाट बटाही

तूं सागै आगै बध जुग रै

जीवण दे, जीवण रै तांही

रे सुगणा, छक मत भाई, तक मत भाई

नवी कटै है बरग लड़ाई

धर मजलां जीवण जोड़ै बध

दीवट लेले पंथ बताही

रे उरजन, डर मत भाई, मर मत भाई

दिन-दिन दीसै मजल सवाई

थारी काया पड़ जासी

पिण दे जीवण चाल गटाही

नित आगै बधती जिंदगानी

दीवट आगै ले जाही!

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : गणेशीलाल व्यास ‘उस्ताद’ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर ,
  • संस्करण : तीसरा