ईं धरती रो करज थारै पर है बेटी

थूं भी ईं को अन्न-जळ खायो है

थारी या मां है बेटी

ईं धरती रो करज थारै पर भी है बेटी।

थूं नहीं है मीराबाई, नहीं थूं पन्नाधाय,

म्हूं जाणू हूं

पण धरती रै वास्तै,

थनै कीं तो करणो है बेटी

ईं धरती रो करज थारै पर है बेटी

थूं भी ईं को कर सकै उपाय

बचावण पाणी री हर बूंद रो।

ऊगा सकै यूं पेड़ घणा

मेहनत अर उम्मीद सूं।

टाबरां में आछा संस्कारां रा अंकुर

थानैं तो बोणो है

वांनैं आछी देय'र शिक्षा

ग्यान रो दीवो जोणो है।

थनैं करणो है हर मुस्किल रो सामनो

पण नीं मानणी है थनैं हार बेटी

ईं धरती रो करज थारै पर है बेटी

थूं ईं को...।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : कृष्णा सिन्हा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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