खेतां री गळाई

रूखाळीजै मारग

जिकौ व्है म्हारौ

जिकौ व्है थारौ

जिकौ व्है आपारौ

वौ नीं व्हे आपांरौ

वौ नीं व्है थारौ

वौ नीं व्है म्हारौ

अै मारग टाळ'र राखीजै

ज्यूं के खाली भायां सारू

भाई साब रौ मारग

खाली साइनां-साथीड़ां सारू

साथीड़ां रौ मारग

देखौ धोळौ-धोळौ मारग

निरखौ रातौ-रातौ मारग

अर भाळौ मटमेलौ मारग

पछे अै मारग बाजै

काळी टोपी रौ, राती टोपी रौ

धोळी टोपी रौ, बिना टोपी रौ

कदैई कोई खाली-माली टोपी चालती देखी?

नीं-नीं हथिकी चालै तौ पग है

पण पगां रे नीं व्है टोपियां नीं कोई पैरावै वांनै

हां, कीं पग व्है

जिका चालै फगत टोपियां माथै

टोपियां ओढावता

टोपी उछाळता

टोपी बणता!

मारग भुगतै

टोपियां री कांयस

उणने जावणौ इज पढ़े

अेक मोटा सिंघासणी रूंख री छियां लग

अर वठै पूग

अलोप व्है जावणौ पड़ै

पण अेड़ी भीड़ पड़्यां

रोवै मांय रौ मांय मारग

इण दोड़ में हरमेस

उणनै दोड़ता-दोड़तां पूगणौ पड़ै

धकै धकै

अर पूगतां उणनै मरणौ पड़े

ठैठ

वठा सूं

जठा सूं वौ जलम्यौ व्है!

वौ देखौ

वौ देखौ

वौ काढ रह्यौ है आपरा सास्तर पानड़ा फिरोळ

झीणा सूं झीणी मारग

जिण माथै सोरै सांस नीं चालीजै

अर जे चाल लेवै

तौ उणसूं कठै पूगीजै कोनीं

असल में अै झीणा मारग

धा-छंट जावता मारग कोनीं

अै तो गळियां है फगत

जिकी काढीजै भरमावण खातर

मारगू नै!

इण मारग सूं आय

उण मारग माथै नीं जाय सकौ आप

खतरौ है भारी, जोखम है

जोखम तौ किणमें कोयनीं

जोखम लेवण में जोखम है

अर जोखम नीं लेवणौ जोखम है

जोखम रौ है अेक आपरौ मारग

मरजीवड़ा बधै इण कांनी

आपरौ माथौ उतारया इज

चालीजै है इण सांकड़े मारग

अर सांम्हला रौ माथै उतारणिया

जिण माथै चालै

वौ मारग इज बाजै

पण मारग-मारग में आंतरौ

मारग कदैई नीं कबूलै किणी री धणियाप

वौ कोनीं आदमी

वौ कोनीं गतबायरौ जीव

जिकौ जरू व्हियोड़ौ रेवै हरमेस

मातहती धणियाप मातहती धणियाप री

कड़ियां वाली सांकळ सूं

मारग रै बंधणौ पोसावौ भलाई

मारग ने छाजै कोनीं...

स्रोत
  • पोथी : मारग ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : देवल प्रकासन, गोटीपा
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